Abstract
Indian Journal of Modern Research and Reviews, 2025;3(5):67-69
कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़नः एक वैधानिक दृष्टिकोण
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Abstract
यौन उत्पीड़न का अभिप्राय पुरूषों की यौनेच्छा पर नियंत्रण नहीं है अपितु यह कुछ पुरूषों की अपनी शक्ति को प्रदर्शित करने और महिलाओं पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता को व्यक्त करता है। जो शैक्षिक संस्थाओं, कार्य स्थलों तथा सार्वजनिक स्थलों पर ऐसा करने और पुरूष वर्चस्व को प्रदर्शित करने के रूप में देखा जा सकता है। यौन उत्पीड़न अपनी प्रकृति में अवाचित, मौखिक या शारीरिक होता है। यह कार्य के बदले यौन सहयोग, प्रतिशोध की भावना या विद्वेष पूर्ण कार्य वातावरण निर्मित करना होता है।
कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न सहन करने वाली सभी अधिकांश महिलाएं चुपचाप इस शर्म को इसलिए सहन करती है क्येांकि कार्यस्थल पर सत्ता की गत्यात्मकता होती है और उन्हें संगठन में यह विश्वास नहीं रहता कि शिकायत के बाद कार्यवाही होगी तथा यौन उत्पीड़न से जुड़ी लांछन और सामाजिक वर्जना भी होती है और पीड़ित को ही दोषी मानने की सामाजिक प्रवृत्ति तथा महिलाओं की नौकरी पर आर्थिक निर्भरता रहती है। कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के विषय में आमतौर पर बहुत से मिथक है। ऐसे मिथक यथार्थ से बहुत दूर हेाते है और इससे शिकायत करने वाली महिलाओं के न्याय की मांग को कमजोर कर देते हैं।
Keywords
यौन उत्पीड़न, लैगिंक असमानता, कार्यस्थल, कामकाजी महिलाएँ, शिकायतें, विशाखा गाईड लाइंस