Abstract
Indian Journal of Modern Research and Reviews, 2024;2(6):40-42
मौखिक परम्परा और संताली साहित्य
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Abstract
यह शोध-पत्र संताली साहित्य की मौखिक परम्परा की सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तथा उसकी समकालीन उपयोगिता का विवेचन करता है। संताली समाज में मौखिक साहित्य, लोकगीत, लोकगाथाएँ, कथाएँ और पारंपरिक गीतों के माध्यम से न केवल सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण हुआ है, बल्कि सामाजिक चेतना और सामूहिक स्मृति का संप्रेषण भी हुआ है। जब लेखन प्रणाली प्रचलन में नहीं थी, तब मौखिक परंपरा ही विचारों और ज्ञान का माध्यम बनी। यह परम्परा आज भी आदिवासी समाजों में जीवित है, जहाँ हर शब्द संस्कृति, धर्म, समाज और परंपरा का संवाहक है। शोध का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि इस मौखिक परम्परा ने संताली साहित्य को किस प्रकार समृद्ध किया है और आधुनिक समय में इसका क्या स्थान है।
Keywords
मौखिक परंपरा, संताली साहित्य, लोकगीत, आदिवासी संस्कृति, लोकगाथा, पारंपरिक ज्ञान, सांस्कृतिक विरासत, सोहराय गीत, काराम विनती, लोककथाएँ।